वालमार्ट के काले कारनामे |
22 जून 2019 को भारत के कुछ अखबारों में एक खबर अंदर के पृष्ठों में छपी थी कि अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट पर 282 मिलीयन डॉलर का जुर्माना अमेरिकी सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन द्वारा लगाया गया है |वॉलमार्ट कंपनी पर यह आरोप है कि उसने अपने व्यापार को भारत, चीन, ब्राजील और मैक्सिको में बढ़ाने के लिए अपनी एक सहायक कंपनी के माध्यम से इन देशों की सरकारों में बैठे निर्णायक व्यक्तियों को रिश्वत दी गई और वॉलमार्ट कंपनी को अमरीकी फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (एफसीपीए) के अंतर्गत दोषी पाया गया | वालमार्ट कंपनी ने यह खुद स्वीकार किया था कि वर्ष 2008 से लेकर 2012 तक उसने 25 मिलियन डालर भारत में अपने बाज़ार को आगे बढाने के लिए लाबिंग पर खर्च किये थे |
भारत में उस समय डॉ मनमोहन सिंह के नेत्र्तव में यूपीए की सरकार थी | उस दौर में गठबंधन सरकार द्वारा भ्रष्टाचार की खुली छुट दी जा रही थी | चाहे वह टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी के रूप में हो या कोयले की खदान खदानों की नीलामी में | चूँकि गठबंधन की सरकार थी और उसका नेतृत्व मनमोहन सिंह जैसा ईमानदार लेकिन राजनीतिक तौर पर कमजोर व्यक्ति कर रहा था जिसके हाथ में निर्णय क्षमता नहीं थी और इतिहास साक्षी रहा है कि जब जब केंद्र में गठबंधन की कमजोर सरकार होती हैं तो सत्ता का दुरुपयोग कई गुना बढ़ जाता है | तात्कालीन सरकार ने कई बार इस प्रकार की कोशिश की कि खुदरा बाजार में विदेशी कंपनियों के लिए यह बाजार खोल दिया जाए लेकिन कई व्यापारिक संगठनों और सामाजिक संगठनों द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया गया |
वालमार्ट भारत में भारती कंपनी के साथ 50:50 प्रतिशत के संयुक्त उपक्रम 2007 से अपना व्यापार चला रही है | लेकिन इस उपक्रम को सिर्फ होलसेल स्टोर संचालित करने की ही अनुमति है | अगर इसे खुदरा क्षेत्र में व्यापार की इजाजत दी गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे | जैसा कि हमें पता है कि अमेरिका में ब्याज की दरें बहुत सस्ती है | वालमार्ट भी अमेरिका की सबसे लाभ कमाने वाली कंपनी है | इतनी अथाह पूंजी के साथ अगर यह भारतीय खुदरा बाज़ार में उतरी तो इसके सामने भारतीय छोटा खुदरा व्यापारी टिक नहीं पायेगा | छोटे खुदरा व्यापारी को पूंजी की व्यवस्था भी 10 से 12 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध हो पाती है जिससे उसकी व्यापार लागत भी बढ़ जाएगी |
‘स्वदेशी जागरण मंच’ खुदरा बाजार में मल्टी नेशंस कंपनी का शुरू से ही विरोध करता आ रहा है | क्योंकि यह सेक्टर भारत की जीडीपी का 23.6 प्रतिशत योगदान करता है | रोज़गार के क्षेत्र में भी रिटेल सेक्टर का योगदान 9 .8 प्रतिशत है | पिछले दिनों वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा इस बारे में एक वक्तव्य जारी किया गया है कि भारत में मल्टी ब्रांड रिटेल के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को लाइसेंस नहीं दिया जाएगा | स्वदेशी जागरण मंच इसका स्वागत करता है |
भारत की युवा जनसंख्या रोजगार की कमी से जूझ रही है | हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारों की दर पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा दर्ज की गई है | जाहिर है कि खुदरा बाजार भारत में रोजगार मुहैया कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और इसमें अभी भी असीमित संभावनाएं हैं क्योंकि यह सेक्टर 20 से 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है | यह 2020 तक 1.3 ट्रिलियन डोलर तक पहुँच सकता है |
वालमार्ट रिटेल सेक्टर की विश्व की सबसे बड़ी कंपनी है जिसके 27 देशों में 10000 स्टोर है | इसके 2.2 मिलियन कर्मचारी है लेकिन वालमार्ट कंपनी अपने कर्मचारियों को बाकी खुदरा बाज़ार की कंपनियों की तुलना में 12.4 प्रतिशत तक कम वेतन देने के लिए कुख्यात है | वालमार्ट का सालाना टर्नओवर और लाभांश बहुत बड़ी मात्रा में होता है ऐसे में ये कंपनियां विदेशों में अपनी मनपसंद पॉलिसी में फेरबदल करवा कर और कभी कभी तो वहां की सरकारों को भी अपने हाथों खेलने के लिए मजबूर कर देती हैं | रिश्वत के माध्यम से ब्लैकमेल करने का कार्य भी करती है | उपरोक्त मामले में भी वॉलमार्ट कंपनी को अपनी तरफ से सफाई देने का पूरा मौका दिया गया था लेकिन वॉलमार्ट ने केस लड़ने की बजाय अमेरिकी प्रशासन को हर्जाने के तौर पर 282 मिलीयन डॉलर देकर मामले को रफा-दफा करना ही मुनासिब समझा अन्यथा अगर इस केस की तह में जाया जाए तथा ठीक प्रकार से इसकी पड़ताल की जाए तो भारत जैसे देश में कई शीर्ष पदों पर विराजमान तत्कालीन मंत्री और सचिव स्तर के नेता और अधिकारी इसमें शामिल पाए जा सकते थे |
भारत का ई -कॉमर्स बाज़ार तो 50 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है | वालमार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिप्कार्ट का अधिग्रहण मई 2018 में कर लिया था | लेकिन बाज़ार से अन्य छोटी ई-कॉमर्स (स्वदेशी) कंपनियों को बाहर करने के लिए कई प्रकार की रियायते और डिस्काउंट देने शुरू कर दिए थे |
भारत सरकार ने नई ई -कॉमर्स पालिसी बनाकर कुछ नियंत्रण का प्रयास किया है लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के माध्यम से व्यापार-युद्ध की छाया में ऐसी भीमकाय अमेरिकी कंपनियां लोबिंग (भ्रष्टाचार ) से भारतीय खुदरा और ई -कॉमर्स बाज़ार पर कब्ज़ा करना चाहेंगी | नरेंदर मोदी सरकार और व्यापारी संगठनों को इसके लिए सचेत और जागरूक रहने की आवश्यकता है |